Priyanka Verma

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लेखनी प्रतियोगिता - कश्ती

कश्ती


बदल रहें हैं रुख, हवाओं के...
पर, हमें भी ज़िद है
अपनी कश्ती को साहिल तक पहुंचाने की,

माना के आसान नहीं है...
राह - ए - मंजिल,
उम्मीद अभी भी बरकरार है,
पतझड़ में बसंत के आने की।।


प्रियंका वर्मा
19/5/22

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17 Comments

Neelam josi

21-May-2022 04:04 PM

Very nice 👌

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Fareha Sameen

20-May-2022 08:50 PM

Nice

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Reyaan

20-May-2022 02:37 PM

👏👌

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